सेंट्रल स्टेशन की नई बिल्डिंग में बाधक बनीं प्लेटफार्म नंबर नाै की स्वचालित व फुट ओवरब्रिज की सीढ़ियां हटेंगी। गुरुवार को प्रयागराज के मंडल रेल प्रबंधक रजनीश अग्रवाल ने इसकी मंजूरी दे दी। वह टीम के साथ निरीक्षण करने पहुंचे थे। डीआरएम दोपहर करीब एक बजे महानंदा एक्सप्रेस से सेंट्रल पहुंचे। इसके बाद वह प्लेटफार्म नंबर आठ और नाै पर गए।
इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों से उन्होंने स्वचालित सीढ़ियों व फुट ओवरब्रिज की संरचना को समझा और इन्हें हटाने के लिए हरी झंडी दी। इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने जहां से सीढ़ियां हटाई जानी हैं, वहां निशान लगवाए। इसके बाद डीआरएम ने अधिकारियों के साथ बैठक की।
उन्होंने कहा कि गर्मी शुरू हो गई है। ट्रेनों में पानी भराकर ही यहां से आगे रवाना करें। यात्रियों को पानी की दिक्कत न हो। डीआरएम स्टेशन पर पांच बजे तक रहे और फिर चौरीचौरा एक्सप्रेस से प्रयागराज के लिए रवाना हो गए। यहां पर डिप्टी सीटीएम आशुतोष सिंह, स्टेशन अधीक्षक अवधेश द्विवेदी, सीआरटी रोमित चतुर्वेदी, वीएन त्रिपाठी, मंडल इंजीनियर आयुष कुमार सिंह, वरिष्ठ मंडल सिग्नल, दूरसंचार इंजीनियर उज्जवल गुप्ता आदि रहे।
60-60 दिनों का लिया जाएगा ब्लॉक
सेंट्रल स्टेशन का 767 करोड़ रुपये से पुनर्विकास कार्य चल रहा है। प्लेटफार्म आठ और नाै पर कॉनकोर्स बनाने के लिए 60-60 दिनों का ब्लॉक होगा। डीआरएम ने औसतन चलने वाली 40-56 ट्रेनों के डायवर्जन और दूसरे प्लेटफार्मों से चलाने पर राय जानी। कहा कि ट्रेनों के डायवर्जन व दूसरे प्लेटफार्मों से चलाने का पूरा ब्योरा एकत्र करें। इस पर जल्द अंतिम फैसला लिया जाएगा।
कॉनकोर्स के लिए पड़ेगी छत
प्लेटफार्म नंबर आठ व नाै पर कॉनकोर्स बनाने के लिए छत पड़नी है। यहां यात्री और उनके परिजन ट्रेन का इंतजार कर सकेंगे। ट्रेनों की स्थिति के हिसाब से ही प्लेटफार्म पर जाएंगे। इन प्लेटफार्म से गुजरने वाली ट्रेनें दूसरे प्लेटफार्मों से निकाली जाएंगी। स्टेशन के पुनर्विकास में दो और प्लेटफार्म बढ़ाने पर विचार चल रहा है। अभी 10 प्लेटफार्म हैं, जिनसे ट्रेनें संचालित होती हैं।
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