गोदावरी के जंगल में बरौंधा निवासी दो भाइयों वीरेंद्र और जितेंद्र के कंकाल पेड़ से टंगे मिलने के मामले की गुत्थी दूसरे दिन उलझी रही। तीन डॉक्टरों के पैनल ने कंकालों का पोस्टमार्टम किया। इसमें मौत के सही कारण की जानकारी नहीं हुई। डीएनए टेस्ट के नमूने लिए गए हैं। कंकालों को विशेष जांच के लिए भोपाल लैब भेजा गया है। पुलिस अभी तक इसे खुदकुशी ही मान रही है।
28 जनवरी को सतना से लापता बरौंधा के वीरेंद्र व जितेंद्र के कंकाल 78 दिन बाद गोदावरी के जंगल में मिले। सतना में गुरुवार को तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। सूत्र बताते हैं गर्दन की हड्डी टूटी मिली है। पुलिस खुदकुशी न मानकर हत्या की आशंका जता रही है। मौत के सही कारणों की जानकारी के लिए कंकालों को भोपाल लैब भेजा गया है।
गुरुवार को चित्रकूट और सतना पुलिस टीम ने फिर से घटनास्थल का निरीक्षण किया। मां गोल्हरी देवी ने बताया कि दोनों बेटे टोपी लगाते थे। इसी आधार पर खोजबीन की गई तो दूसरे भाई की भी टोपी मौके से मिली है। एक टोपी बुधवार को ही मिल गई थी। सतना एसपी आशुतोष गुप्ता ने बताया कि पुलिस जल्दबाजी नहीं ठोस जानकारी व जांच के बाद ही इस मामले की पुष्टि करेगी। मृतक भाइयों की मां का व्यवहार भी गांव में सबसे अच्छा नहीं था। प्रथम पूछताछ में यह जानकारी मिली है। इसकी जानकारी और की जा रही है।
जिले में गुमशुदगी मामले में पुलिस की जांच चलती रहती है और गुम व्यक्ति का शव तक कभी कभार मिल जाता है। एसपी चित्रकूट अरुण कुमार सिंह ने बताया कि 2024 के एक साल में 159 गुमशुदा वालों को पुलिस ने खोजबीन कर परिजनों को सौंपा है। पुलिस के इस दावे के बावजूद अभी भी जिले में 70 से अधिक ऐसी गुमशुदगी हैं, जिनका कुछ पता नहीं चला है।
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