**मुंबई: कभी-कभी जिंदगी बच जाती है बस एक फैसले की वजह से. ऐसा ही हुआ संतोष लक्ष्मण जगदाले के साथ. वे अपनी पत्नी और दोस्तों के साथ कश्मीर के पहलगाम घूमने गए थे. बाइसारन की वादियों तक जाने का मन था, लेकिन उन्होंने टट्टू न लेकर कार से ही वापस लौटने का फैसला किया और यही फैसला उनकी जिंदगी बच गई.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संतोष ने बताया कि हम वहां से ठीक एक घंटा पहले लौटे थे, तभी गोलीबारी शुरू हो गई. बाद में टीवी पर नाम देखा. ‘संतोष जगदाले मारे गए’. मेरा भी नाम वही है, बस पिता का नाम अलग है. रात भर और अगली सुबह मेरे पास दर्जनों कॉल आए. सब जानना चाहते थे, मैं ठीक हूं या नहीं.”
दरअसल, जिस संतोष की मौत हुई, वे पुणे के रहने वाले थे. जबकि ये संतोष सांगली से हैं. बीजेपी विधायक सुधीर गाडगिल को भी फोन पर बार-बार सफाई देनी पड़ी कि ‘सांगली वाले संतोष बिल्कुल ठीक हैं.’
घोड़े लेने में वक्त लगा और जान बची
उधर कोल्हापुर से आए 28 लोगों का एक ग्रुप भी किस्मत से बाल-बाल बचा. उन्होंने बाइसारन जाने के लिए घोड़े लेने में वक्त लगाया. पहले तो घोडे़ वालों ने ₹3200 प्रति व्यक्ति मांगे, फिर 15 मिनट मोल-भाव में और 15 मिनट घोड़े इकट्ठा करने में लग गए.
अनिल कुरने ने बताया कि बस 500 मीटर ही चले थे कि ड्राइवर दौड़ता हुआ आया और बोला कि आगे फायरिंग हो रही है, मत जाओ. फिर हमने तुरंत लौटने का फैसला किया.
भूस्खलन ने बदला रास्ता, बच गई जिंदगी
इसी बीच हैदराबाद से आए 40 टूरिस्ट्स की किस्मत ने भी साथ दिया. उनका कश्मीर प्लान कैंसिल हो गया क्योंकि श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर लैंडस्लाइड हुआ था. वे अमृतसर और फिर मनाली चले गए.
विशाखापट्टनम के वी.एस. आनंद और उनकी पत्नी रत्ना ने कहा कि अगर मौसम न बिगड़ता, हम भी उस वक्त पहलगाम में होते. लगता है किसी अदृश्य शक्ति ने हमें बचा लिया. झारखंड के एक परिवार की फ्लाइट भी बारिश के कारण कैंसिल हो गई. वे भी उसी दिन पहलगाम में होते, अगर मौसम ने उन्हें न रोका होता.**