**रांची. आपने नेशनल हाईवे या रोड साइड खास तौर पर रात के समय येलो लाइट चमकते तो जरूर देखी होगी. दरअसल, इसे ‘येलो स्टड लाइट’ कहते हैं, जो रात में सेफ्टी के लिए रिफ्लेक्टर के तौर पर काम करती है. लेकिन, कई बार इसको देखकर लोगों के मन में आता है कि आखिर येलो लाइट ही क्यों, इसके लिए और कोई कलर क्यों नहीं?
हाईवे या शहर की अधिकतर सड़कों पर कई बार ऐसी ही येलो लाइट रात में ऑन-ऑफ होती रहती है. तब यह सवाल उठता है कि आखिर इस लाइट को रात में कौन जलाता-बुझाता है? इस लाइट को कनेक्शन कहां से मिल रहा है. ऐसे ही सवालों का जवाब आज हम आपको देते हैं. ताकि, आपका कंफ्यूजन हमेशा के लिए क्लियर हो जाए.
येलो लाइट का ये है संकेत
झारखंड की राजधानी रांची के रोड सेफ्टी एक्सपर्ट ऋषभ आनंद बताते हैं, रोड किनारे अक्सर लोगों ने येलो स्टड लाइट देखी होगी. दरअसल, यह लाइट रात में अलर्ट के रूप में होती है. ये इस बात का संकेत है कि आपको उसके पार नहीं जाना है. यह चालकों को सुरक्षा प्रदान करती है. साथ ही, इसके येलो कलर लाइट के ऊपर एक सोलर पैनल लगा रहता है तो दिन में खुद ही चार्ज होती है.
तो ऐसे होती है चार्ज
साथ ही, जैसे अंधेरा होता है ये खुद ही जल जाती है. जैसे सुबह होती है खुद ही ऑफ हो जाती है. फिर से चार्ज होने लगती है. ऐसे में किसी को ऑन-ऑफ करने की जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा कई बार इसमें एक रिफ्लेक्शन येलो कलर की स्टीकर चिपका हुआ होता है. जब वाहन की लाइट इस पर पड़ती है तो ये तीव्रता के साथ आपकी आंखों में चमकती है.
इसलिए येलो कलर का चयन
वहीं, अगर हम फिजिक्स लॉ की बात करें तो येलो लाइट की फ्रीक्वेंसी बहुत ही तेज होती है. इसकी तीव्रता काफी अधिक होती है. इसी कारण इसका सेलेक्शन किया जाता है. बाकी कलर के मुकाबले रात में येलो लाइट पर किसी वाहन की हल्की रोशनी भी पड़ती है तो आपको यह चमकती नजर आती है. ऐसे में रात के अंधेरे में यह सेफ्टी का अच्छा काम करती है.
कई बार रेड लाइट का इस्तेमाल
रोड सेफ्टी एक्सपर्ट ऋषभ आनंद बताते हैं, कई बार आपको यलो के साथ-साथ पेड़ में खासतौर पर रेड कलर के स्टीकर चिपके हुए मिलेंगे. इसका भी फिजिक्स लॉ के अनुसार यही मतलब है. इस रंग की भी तीव्रता काफी अधिक होती है. रात में हल्की लाइट पड़ते ही रेड लाइट आंखों में चमकने लगेगी. ये लाइट ड्राइवर को इशारा करती है कि इसके पास नहीं जाना है. यहां खतरा है.**