बीते कुछ समय से पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में हैं. सीमा पर तनाव चरम पर है. बीते कुछ महीनों में कई बार सीधी जंग जैसे हालात बन गए. दोनों देशों में खुफिया एजेंसियों ने कई हाई प्रोफाइल हत्याओं को अंजाम दिया. इस बीच नफरत की आग इतनी बढ़ गई है कि बात आम लोगों की जान तक आ गई है. पाकिस्तान अब अफगानिस्तान के आम लोगों पर जुर्म ढाह रहा है. सितंबर 2023 से अब तक 8.6 लाख से अधिक अफगान नागरिक पाकिस्तान छोड़कर अपने देश अफगानिस्तान लौटने को मजबूर हुए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 5 लाख से ज्यादा लोग खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बॉर्डर क्रॉसिंग के जरिए अफगानिस्तान पहुंचे. पाकिस्तान एक अभियान के तहत अपने देश से अफगानिस्तानी लोगों को घरों से घसीट-घसीट कर निकाल रहा है.
पाकिस्तान ने अप्रैल 2025 से अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने की दूसरी प्रक्रिया शुरू की. इससे पहले, अफगान सिटिजन कार्ड (एसीसी) धारकों को स्वेच्छा से लौटने की समय सीमा दी गई थी, जो खत्म हो चुकी है. पहला चरण 2023 में शुरू हुआ था जब सरकार ने अवैध रूप से रह रहे अफगानों को वापस भेजने का फैसला किया.
डॉन अखबार के अनुसार इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) के आंकड़ों से पता चलता है कि 15 सितंबर, 2023 से 5 अप्रैल, 2025 तक 8,61,763 अफगान अपने देश लौटे. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पांच लाख से ज्यादा लोग खैबर पख्तूनख्वा के दो बॉर्डर क्रॉसिंग, मुख्य रूप से तोरखम, के जरिए गए. शुक्रवार को ही 4,908 अफगान पाकिस्तान से गए जिनमें 2,475 लोग एसीसी धारक थे और कानूनी रूप से पाकिस्तान में रह रहे थे. इनमें से 2,125 ने स्वेच्छा से देश छोड़ा, जबकि 350 को तोरखम बॉर्डर के रास्ते निर्वासित किया गया.
एक अप्रैल से शुरू हुए दूसरे चरण में अब तक 16,242 एसीसी धारक पाकिस्तान से जा चुके हैं. इनमें 9,439 ने खुद देश छोड़ा, जबकि 6,803 को निर्वासित किया गया. सितंबर 2023 से अब तक खैबर पख्तूनख्वा के दो बॉर्डर क्रॉसिंग से 5,00,040 अफगान नागरिक लौटे. अधिकारियों के मुताबिक, पंजाब और इस्लामाबाद से भी अफगान शरणार्थियों को निर्वासन के लिए ले जाया गया. उन्हें पेशावर और लанди कोटाल के दो ट्रांजिट कैंपों में ले जाकर रजिस्ट्रेशन के बाद अफगानिस्तान भेजा गया.
यह प्रक्रिया उन अफगानों पर केंद्रित है जो अवैध रूप से या समय सीमा खत्म होने के बाद भी पाकिस्तान में रह रहे थे. सरकार का कहना है कि यह कदम देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए जरूरी है. हालांकि, मानवाधिकार संगठन इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि कई अफगानों को अफगानिस्तान में असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है.
