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पानीपत। जब मैं छोटा था, तो बड़ौत में पिता 80 रुपये दिहाड़ी पर काम करते थे। पिता ने मुझे कर्ज लेकर किसी तरह पढ़ाया। वर्ष 2006 में सूदखोर का दबाव बढ़ा तो मजबूरन 2007 में हम पानीपत आकर रहने लगे। मैंने अपने पिता व भाई के साथ संजय चौक पर कैले की तीन रेहड़ी लगाई।
दिनभर केले बेचकर 700 रुपये बच जाते थे, जिससे अपना कर्ज उतारा। मैंने बस में कुल्फी बेची, ईंट भट्ठे पर काम किया। वर्ष 2012 में सात हजार की तनख्वाह पर एक कंपनी में पैकिंग का काम शुरू किया। अलग-अलग फैक्ट्री में काम करने के बाद वर्ष 2018 में मेरी 40 हजार तनख्वाह हुई, लेकिन मैंने अपना कारोबार कर अपना घर बनाने का सपना देखा और नौकरी छोड़ दी। ई-कामर्स की तरफ बढ़ा।
आज उसका टर्न ओवर करोड़ों में पहुंच चुका था। सपने का घर बनाकर उसमें अपना वेयर हाउस बना लिया था, लेकिन शनिवार रात मेरे लिए काल बनकर आई और मेरा सब कुछ छीन ले गई। आग ने उसके पूरे सपने को जला दिया। यह कहना है कि कुटानी रोड डाबर कालोनी निवासी शाहनवाज का।
आग में जल गया पूरा घर
युवा कारोबारी शाहनवाज ने बताया कि आखिरी तनख्वाह के 40 हजार से उसने व्यापार शुरू किया था। साउथ की तरफ माल भेजा, लेकिन सफलता नहीं मिली। उसके बाद वर्ष 2018 में ई-कामर्स की तरफ बढ़ा। फ्लीपकार्ट, मिशो आदि ऐप पर रजिस्ट्रेशन कराया और साहिना होम फर्निशिंग के नाम से डोरमैट व बाथमैट का व्यापार शुरू किया।
कोरोना काल में व्यापार में बढ़ावा नहीं हुआ, लेकिन वर्ष 2022 के बाद अचानक उछाल आया। एक समय आया कि उसका टर्न ओवर 10 से 12 करोड़ तक पहुंच गया था। उसने दिन-रात मेहनत की। सपने का घर बनाया और गाड़ी खरीदी। इसी घर में वेयरहाउस बनाया, लेकिन आग में घर, गाड़ी, वेयरहाउस व उसमें रखा माल सब जल गया।
चार राज्यों में बनाए वेयरहाउस, पानीपत था मुख्य
शाहनवाज ने बताया कि उसने कुछ समय पहले व्यापार बढ़ाने का फैसला किया था। उसने कोलकाता, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलगांना में वेयरहाउस बना दिए थे। पानीपत वेयरहाउस मुख्य था। उसने हाल में गारमेंट्स का भी व्यापार शुरू किया था। उसकी जिओ मार्ट रिलाइंस से थ्री पेयर माडल पर काम करने की प्लानिंग चल रही थी, ताकि ज्यादा पिनकोड का प्रयोग हो सके।
रविवार सुबह फिर धधकी आग...
शनिवार रात आठ बजे मकान में लगी आग को दमकल कर्मियों ने रात एक बजे आग पर काबू पाया था। रविवार सुबह इस मकान में आग फिर से धधक गई। इसकी सूचना मिलने पर फिर फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां पहुंची। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पूरी तरह काबू पाया।
12 मार्च को हुई थी डिलीवरी
शाहनवाज ने बताया कि उसकी पत्नी की 12 मार्च को डिलीवरी हुई थी। उसके बाद बेटी की हालत खराब हुई थी। वह पत्नी के साथ बाइक पर बच्ची को अस्पताल दिखाने गया था, लेकिन प्रसूता होने की वजह से उसे शरीर में परेशानी हुई। जिसके चलते वह शनिवार को अपनी मां के साथ बेटी को अस्पताल लेकर गया था, जब वापस आया तो घर व वेयरहाउस में आग लगी मिली। पत्नी को स्थानीय लोग बाहर निकाल चुके थे।**