बुढ़ापे का सहारा समझने वाले बुजुर्गों के लिए बच्चों का तिरस्कार कितना दुखदाई होता है। ये सिर्फ उनकी छलकती आंखे ही बता सकती हैं। मंगलवार को कानपुर शहर में ऐसा ही एक मामला बिधनू सीएचसी में देखने को मिला। गोविंदनगर बी ब्लॉक निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग सुरेश कुमार पिछले कुछ दिनों से तेज बुखार और बीपी से परेशान हैं।
बीते कुछ दिनों वे इलाज के लिए पनकी के पतेहुरी गांव निवासी बेटी पूजा और दामाद दीपक के पास रह रहे थे। बुधवार को तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने बेटी दामाद से किसी डॉक्टर को दिखाने के लिए कहा। इस पर बेटी और दामाद शहर में किसी डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय घर से करीब 40 किमी दूर बिधनू सीएचसी ले गए। उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराया। इसके बाद दोनों बाहर से दवा लाने के बहाने वहां से भाग निकले।
मानने को तैयार नहीं कि बेटी ऐसे हाल में छोड़ देगी
बुजुर्ग वार्ड में लावारिस लेटे रहे। उन्हें उम्मीद थी कि बेटी और दामाद दवा लेकर जल्द वापस आ जाएंगे। डॉक्टर या नर्स उनसे साथ के तीमारदार के बारे में पूछती तो वह कहते आते होंगे, दवा लेने गए हैं। जब काफी देर तक दोनों नहीं आए, तो लोगों ने टोका। कहा लगता है काशी वाली वृद्धा की तरह तुम्हें भी छोड़कर चले गए। वह गुस्से में चीख पड़े, बोले मेरी बेटी और दामाद बहुत अच्छे हैं।
बुजुर्ग को हैलट अस्पताल में भर्ती कराया
दवाई पास में नहीं मिली होगी, तो लेने दूर चले गए होंगे। हालांकि ये कहते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। इसके बाद डॉक्टरों ने काफी देर तक इंतजार किया। जब बेटी दामाद नहीं लौटे, तो डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज देने के बाद पुलिस को सूचना दी। हालात गंभीर होने की बात कहते हुए बुजुर्ग को हैलट रेफर कर दिया। बिधनू इंस्पेक्टर जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि गोविंदनगर पुलिस को मामले की जानकारी देने के साथ ही बुजुर्ग को हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
